बिहार में जारी ‘बदलाव यात्रा’ के 29वें दिन की तस्वीरें उम्मीद और बदलाव की एक नई कहानी कह रही हैं। गांव-गांव में उमड़ते जनसैलाब और लोगों की आंखों में झलकती उम्मीद साफ संकेत दे रही है कि प्रदेश एक नई दिशा की ओर अग्रसर है।
यात्रा के दौरान एक भावुक लेकिन गर्व से भरा संदेश गूंजता रहा—
“अपने सवांग को फोन करके बता दीजिए, इस बार जब छठ में घर आओगे तो मजबूरी में मजदूरी के लिए परदेस नहीं जाना पड़ेगा!”
इस एक वाक्य ने हजारों दिलों को छू लिया। वर्षों से पलायन झेल रहे बिहारवासियों को अब उम्मीद है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और विकास के अवसर उपलब्ध होंगे।
मुख्य बातें:
- बदलाव यात्रा का 29वां दिन ग्रामीण अंचलों में भारी उत्साह के साथ संपन्न हुआ।
- बड़ी संख्या में युवा, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हुए।
- स्थानीय रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर लोगों ने खुलकर बात रखी।
- नेताओं ने भरोसा दिलाया कि पलायन की विवशता अब इतिहास बनेगी।
यह यात्रा अब महज एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनता की भावनाओं और उनकी आकांक्षाओं का प्रतीक बनती जा रही है।
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