पटना/मुज़फ्फरपुर | 23 जून 2025 बिहार की राजनीति में उस वक्त उबाल आ गया जब जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ता और नेता, मुज़फ्फरपुर रेप पीड़िता बच्ची को न्याय दिलाने की मांग को लेकर पटना में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद राज्य सरकार पर तानाशाही का आरोप लगने लगे हैं।
क्या है पूरा मामला? मुज़फ्फरपुर जिले में 26 मई को एक 11 वर्षीय दलित बच्ची के साथ दरिंदगी की गई थी। उसके साथ गैंगरेप कर गला रेतने का प्रयास किया गया। गंभीर हालत में बच्ची को पहले SKMCH, मुज़फ्फरपुर में भर्ती कराया गया, फिर पटना के PMCH रेफर किया गया। लेकिन वहां भी इलाज में भारी लापरवाही बरती गई। घंटों एंबुलेंस में इंतजार के बाद भी उसे इलाज नहीं मिल सका और आखिरकार 1 जून को उसकी मौत हो गई।
जन सुराज की चार प्रमुख मांगें प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जन सुराज पार्टी ने घटना को “सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता” करार देते हुए चार मांगें रखी हैं:
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का इस्तीफा
SKMCH और PMCH की न्यायिक जांच
पीड़ित परिवार को ₹1 करोड़ मुआवज़ा और सरकारी नौकरी
दोषियों को फास्ट-ट्रैक कोर्ट के माध्यम से कड़ी सजा
प्रदर्शन और गिरफ्तारी सोमवार को जन सुराज के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती के नेतृत्व में कार्यकर्ता पटना स्थित स्वास्थ्य मंत्री के आवास के बाहर पहुंचे। वे “मंगल पांडे चोर है”, “इस्तीफा दो” जैसे नारे लगा रहे थे। पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए कार्यकर्ताओं को बलपूर्वक हिरासत में लिया और प्रदर्शन को समाप्त करवा दिया।
सरकार की चुप्पी पर विपक्ष हमलावर घटना को लेकर मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की चुप्पी पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और RJD समेत अन्य दलों ने भी राज्यपाल से मिलकर निष्पक्ष जांच और मंत्री की बर्खास्तगी की मांग की है।
प्रशांत किशोर का बयान जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने कहा –
“अगर कोई बच्ची न्याय मांग रही है और सरकार उस आवाज को कुचल रही है, तो यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही है। मंगल पांडे को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।”
📰 निष्कर्ष मुज़फ्फरपुर की बच्ची के साथ हुई दरिंदगी और उसके बाद इलाज में बरती गई लापरवाही ने बिहार की राजनीति को हिला दिया है। जहां एक ओर विपक्ष न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर है, वहीं सरकार के रवैये पर सवाल उठ रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार की सत्ता में बदलाव की दिशा तय कर सकता है।
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